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bhumi patta ki jankari | जमीन का पट्टा क्या है | भूमि पट्टा अधिनियम | सरकारी जमीन का पट्टा
जमीन का पट्टा– इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी देंगे की जमीन का पट्टा क्या होता है? एवं जमीन के पट्टे के लिए पात्रता क्या है, और जमीन का पट्टा पाने की क्या प्रक्रिया होती है। भारत में कहीं ऐसे लोग हैं, जिनके पास जमीन नहीं है। और जो किसी प्रकार की भूमि खरीदने की स्थिति में नहीं है। ऐसे मजदूरी करने वाले लोग जमीन का पट्टा पाने के पात्र होते हैं। जब पट्टे का आवंटन से गरीब लोगों की रहन-सहन व आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। हम सभी लोगों ने भूमि पट्टा य जमीन का पट्टा कहीं बार सुना होगा। लेकिन हम इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं जानते। तो हम आपको बताएंगे भूमि पट्टा क्या है, और भूमि पट्टा की जानकारी इस पोस्ट में देंगे।
जमीन के पट्टों के प्रकार
भूमि पट्टा एवं जमीन का पट्टा कई प्रकार के होते हैं। जिनमें से मुख्य है जैसे कृषि या खेती आवंटन के लिए पट्टा, आवासीय आवंटन पट्टा, मछली पालने या मत्स्य पालन के लिए आवंटित पट्टा (इस जमीन को को सिर्फ तलाब में मत्स्य पालन हेतु उपयोग किया जा सकता है), वृक्षारोपण के लिए भूमि पट्टा आवंटित किए जाते हैं। जमीन के पट्टे एक समय सीमा के लिए होते हैं। जमीन का पट्टा प्राप्त करने वाला व्यक्ति भूमिका उपयोग सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए कर सकता है। जो उद्देश्य उसने भूमि पट्टा प्राप्त करने वाले समय दिया था। जैसे मत्स्य पालन के लिए तालाब के रूप में जमीन के पट्टे का उपयोग किया जा सकता है। और आवासीय पट्टा भवन निर्माण या आवास के रूप में उपयोग किया जा सकता है। अब आपको जमीन का पट्टा यह भूमि पट्टा की पूरी जानकारी देते हैं।
जमीन का पट्टा या भूमि पट्टा क्या होता है?पट्टा प्राप्त करने का पात्र कौन होता है?
जमीन का पट्टा को समझने के लिए हमें जमीन को समझना आवश्यक है। जमीन के पट्टा के लिए दो प्रकार की भूमि पट्टे के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। असंक्रमयी भूमि या सरकारी भूमि के पट्टे को एक निश्चित टाइम के लिए किसी उद्देश्य के लिए गरीब भूमिहीन लोगों को दिया जाता है। जमीन के पट्टे के लिए दो प्रकार की भूमि उपयोग में लाई जाती है, वह हैं-
- संक्रमयी भूमि (transferable land)
- असंक्रमयी भूमि (non-contaminated land)
संक्रमयी भूमि– यह भूमि किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर होती है। और इस जमीन पर व्यक्ति एवं व्यक्ति के परिवार का पूरा अधिकार होता है। जमीन का उपयोग वह व्यक्ति किसी भी रूप में कर सकता है। कैसी भी खेती कर सकता है। किसी भी प्रकार का भवन निर्माण इस जमीन में कर सकता है। जमीन को बेचने का पूरा अधिकार व्यक्ति के पास होता है।
असंक्रमयी भूमि या सरकारी भूमि- सीधे शब्दों में ऐसी भूमि को सरकारी भूमि कहा जा सकता है। यह भूमि किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं होती है। इस प्रकार की भूमि को प्राप्त करने के लिए जमीन का पट्टा बनाना होता है। कहीं राज्य में जमीन का पट्टा का शुल्क नहीं लिया जाता है। लेकिन कहीं राज्य जमीन का पट्टा आवंटित करने का शुल्क या भू राजस्व लेते हैं। जमीन का पट्टा एक निश्चित समय के लिए आवंटित किया जाता है। जमीन के पट्टे को बेचा नहीं जा सकता। पट्टा लेने का कुछ निश्चित उद्देश्य होता है। उसी उद्देश्य से पट्टे का उपयोग किया जा सकता है अन्य कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है। जैसे खेती के लिए लिया गया पट्टा केवल खेती में उपयोग किया जाता है। किसी भी सरकारी रजिस्टर एनजीओ द्वारा जनहित में लिया गया पट्टा का जो भी उद्देश्य होता है, उसी के लिए उसे उपयोग किया जाता है।
जमीन का पट्टा किसे मिल सकता है? और इसकी पात्रता क्या है?
जमीन का पट्टा गरीब बेघर भूमिहीन लोगों को सरकार द्वारा आवंटन किया जाता है। जमीन का पट्टा आवंटित करने के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियम है। कई राज्यों में सरकार द्वारा पंजीकृत एनजीओ को भी जमीन का पट्टा दिया जाता है। जो जनहित में कार्य करें। कई राज्यों में स्वतंत्रता सेनानियों को भी जमीन का पट्टा आवंटित किया जाता है। कई राज्य विकलांग व्यक्तियों को भी जमीन का पट्टा आवंटित करते हैं। ऐसी सरकार द्वारा पंजीकृत संस्थाओं को भी जमीन आवंटित की जाती है जो सार्वजनिक हित में कार्य करते हैं। कई राज्यों में जमीन को कब्जा के अनुसार भी आवंटित कर दिया जाता है। लेकिन उसके लिए सरकार भू राजस्व को जमा करवाती है। कई राज्यों में मत्स्य पालन एवं बागवानी के लिए भी जमीन का पट्टा आवंटित किया जाता है।
जमीन का पट्टा के लिए पात्रता
जमीन का पट्टा के उपयोग के ऊपर जमीन का पट्टा आवंटित होता है। सबसे आवश्यक व्यक्ति जिस राज्य में भूमि पट्टा या जमीन का पट्टा के लिए आवेदन कर रहा है, तो व्यक्ति को उस राज्य का मूल निवासी होना चाहिए। जैसे जमीन का आवासीय पट्टा के लिए भूमिहीन होने की पात्रता आवश्यक है। आपके नाम कहीं कोई और जमीन नहीं होनी चाहिए। इसके लिए ग्राम पंचायत से एक प्रमाण पत्र आपको जारी करवाना होगा। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन का प्रमाण पत्र होना चाहिए। सरकार अपने विवेक से भी जमीन का पट्टा देती है। लेकिन व्यक्ति जमीन का पट्टा पाने का हकदार हो। कहीं राज्य में ग्राम पंचायत भी अपने विवेक से जमीन का पट्टा आवंटित करती है। बाकी समाज कल्याण के लिए कार्य करने वाली संस्थाएं आवेदन करके जमीन का पट्टा प्राप्त कर सकती है। NGO या किसी भी संस्था के लिए सरकार के अंतर्गत रजिस्टर होना आवश्यक है। राज्य सरकार उनके कार्य को देखते हुए। एनजीओ या संस्थाओं को जमीन का पट्टा आवंटित कर देती है। कहीं व्यक्तियों को गरीबी रेखा से नीचे जो जीवन यापन करते हैं, उनको कृषि हेतु भी जमीन का पट्टा आवंटित किया जाता है। लेकिन उनके पास किसी प्रकार की कोई जमीन नहीं होनी चाहिए। भूमिहीन होना उनके लिए मुख्य पात्रता है।
भूमि पट्टा अधिनियम की जानकारी
भारत की लगभग सभी राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात एवं अन्य राज्यों में जमीन का पट्टा आवंटन किया जाता है। जमीन का पट्टा आवंटित करने के लिए भूमि पट्टा अधिनियम सरकार द्वारा बनाए गए हैं। भूमि पट्टा अधिनियम में भूमिहीन एवं गरीब मजदूर लोगों को भूमि पट्टा खेती हेतु दिया जाता है। जिससे कृषि उत्पादन भी बड़े और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो। कृषि के लिए जमीन का पट्टा प्राप्त पात्र फसल खराब होने पर मुआवजे वह भी ले सकता है। जमीन का पट्टा अधिनियम के अनुसार जमीन के मालिक द्वारा जमीन का पट्टा किरायेदारों को बिना डरे दे देते हैं। किराएदार द्वारा बनाए गए जमीन के पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद वह जमीन के मालिक से जमीन को खरीद रखने का अधिकार रखता है।
जमीन का पट्टा क्या होता है? इसके लिए क्या पात्रता चाहिए? यह सभी जानकारी हमने इस आर्टिकल में देने की कोशिश की है। आशा करते हैं यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी होगा। आपके मन में जमीन का पट्टा या भूमि पट्टा संबंधी कोई अन्य प्रश्न है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। हम आपकी पूरी सहायता करेंगे।