स्टाम्प ड्यूटी क्या है? इसकी गणना की पूरी जानकारी

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स्टाम्प ड्यूटी क्या है– आज भारत के प्रत्येक राज्य में प्रत्येक व्यक्ति किसी घर का मालिक बनना चाहता है। और अपने मन से अपनी पसंद से घर बनाने का सपना देखता है। आज पूरे भारतवर्ष में गांव हो या शहर सभी जगह प्रॉपर्टी के रेट बहुत ज्यादा है। घर या जमीन लेना अब हर व्यक्ति के लिए बहुत कठिन हो गया है। अब घर और जमीन लेने के लिए व्यक्ति को लोन की आवश्यकता पड़ती है। होम लोन के लिए आवेदन करने के लिए ऊपर पूरी पेपर प्रक्रिया करनी होती है। जिस भी प्रॉपर्टी पर हम लोन लेते हैं तो लोन पूरी प्रॉपर्टी का नहीं मिलता है। हमारे पास भी लोन का कुछ हिस्सा लगभग 10 परसेंट होना जरूरी है। साथ ही हमें इस स्टाम्प ड्यूटी एवं प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के के लिए देने वाला शुल्क का भी ध्यान रखना पड़ता है। इस आर्टिकल में हम आपको Property registration शुल्क एवं stamp duty की पूरी जानकारी देंगे।

स्टाम्प ड्यूटी क्या है?

स्टाम्प ड्यूटी को कह सकते हैं। कि वह गवर्मेंट द्वारा लगाया गया टैक्स है। जो हमारी जमीन या किसी प्रॉपर्टी संबंधी ट्रांजैक्शन पर लगता है। इनमें कई प्रकार के रेंट एग्रीमेंट, सेल्स एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी, रजिस्ट्री या कोई भी एग्रीमेंट हो सकता है। यह एक प्रकार का सरकारी टैक्स है। जो किसी जमीन को खरीदने, ट्रांसफर करने या जमीन का रिकॉर्ड रखने आदि के लिए लिया जाता है। स्टाम्प ड्यूटी अधिनियम वर्ष 1899 सरकार द्वारा पास किया गया। कह सकते हैं, तभी से इस स्टाम्प ड्यूटी अस्तित्व में आया। stamp duty , शुल्क का भुगतान करने के उपरांत कोई भी डॉक्यूमेंट कानूनी रूप से माना जाता है। भारत न्यायालय में भी यह डॉक्यूमेंट माना जाता है। यह डॉक्यूमेंट पूरी तरह से वैध माना जाता है।

स्टाम्प ड्यूटी शुल्क का निर्धारण या कैलकुलेशन

Stamp duty शुल्क का निर्धारण भारत की सभी राज्य सरकारें करती है। राज्य सरकारों द्वारा प्रत्येक राज्य में जमीन के सर्किल रेट तय की होते हैं। प्रत्येक राज्य के स्टाम्पड्यूटी के लिए अपने नियम बनाए होते हैं। Circle rate के अनुसार ही स्टाम्प ड्यूटी शुल्क का निर्धारण किया जाता हैं। स्टाम्प ड्यूटी शुल्क को जो तथ्य प्रभावित करते हैं। वह है- property का आवासीय या कमर्शियल होना। एवं प्रॉपर्टी शहरी क्षेत्र व ग्रामीण क्षेत्र के आधार पर और कृषि भूमि व अकृषि भूमि होने पर भी शुल्क तय होते हैं।

स्टाम्प पेपर कितने प्रकार का होता है?

स्टाम्प पेपर के दो प्रकार पाए जाते हैं। जो निम्न है-

1-न्यायिक स्टाम्प पेपर (Judicial stamp paper)

न्यायिक या जुडिशल स्टाम्प पेपर का उपयोग कानूनी उद्देश्य या अदालत में होने वाली कार्यवाही के लिए शुल्क के नगद लेनदेन सेेेे बचने के लिए किया जाताा है। अदालत में जमा होने वालेेेेे किसी भी शुल्क को न्यायिक स्टांप पेपर के द्वारा कोर्ट फीस का भुगतान किया जाता है। इसे आप न्यायालय शुल्क स्टांप पेपर भी क्या सकते हैं।गै

2-गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर ( non-Judicial stamp paper)

Non judicial stamp paper का यूज किसी भी जमीन के रजिस्ट्री, पावर ऑफ अटॉर्नी, रेंट एग्रीमेंट, किसी भी तरह का शपथ पत्र, पट्टा या अचल भूमि के हस्तांतरण, मकान खरीदने, आवासीय या कमर्शियल भवन किराए पर लेने, लोन निकालने के और loan गारंटी आदि में किया जाता है।

स्टाम्प पेपर शुल्क किसी भी राज्य द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह शुल्क revenue ticket द्वारा भी जमा किया जाता है। अभी जो स्टांप पेपर उपलब्ध हैं वह ₹10, ₹20, ₹50 एवं ₹100, ₹500, 1000 रुपए, 5000 रुपए 10000 रुपए, 15000,20000 एवं 25000 में भी उपलब्ध है।

स्टाम्प ड्यूटी शुल्क को को देते समय आप की प्रॉपर्टी के अनुसार लेन देन पर शुल्क लगता है। आपको लेनदेन की शुल्क पर ही स्टांप पेपर खरीदने हैं। स्टांप पेपर राज्य सरकार के अनुसार तय किए गए रेट अनुसार ही लगाने चाहिए। यदि सरकार द्वारा तय किए गए सर्किल रेट के नियम अनुसार अगर आप स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं करेंगे तो आप पर पेनल्टी के साथ कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है।

स्टाम्प पेपर खरीदने की प्रक्रिया-

स्टांप पेपर खरीदने के लिए राज्य सरकारों ने तीन प्रकार के विकल्प दिए हैं। वह निम्न है-

1- स्टाम्प पेपर को खरीदना

पारंपरिक स्टाम्प पेपर और E stamp paper 2 तरीकों से आप स्टाम्प पेपर को खरीद सकते हैं। स्टाम्प विक्रेता के द्वारा आप पारंपरिक स्टाम्प पेपर और E stamp paper भी भुगतान करके ले सकते हैं। आप की प्रॉपर्टी में राजस्व विभाग के द्वारा नियमानुसार जितना भी स्टाम्प शुल्क लगना है। आपको उतने ही धन राशि का स्टांप पेपर खरीदना है। स्टांप पेपर को खरीदतेे वक्त यह ध्यान रखना जरूरी है, स्टाम्प पेपर किसके नाम से खरीदना है। स्टाम्प पेपर क्रेता विक्रेता किसी एक पक्ष के नाम से लिया जाता है। हमें यह ध्यान रखना भी जरूरी है, कि हम स्टाम्प पेपर सरकार द्वारा अधिकृत स्टाम्प विक्रेता से ही ले।

अब E stamp paper का चलन शुरू हो गया है। सभी राज्य E stamp paper प्रक्रिया बहुत ही लोकप्रिय हो रही है। Stock Holding Corporation of India Limited के द्वारा ई स्टांपिंग की सुविधा दी जाती है। जब भी ऑनलाइन स्टैंप पेपर खरीदें तो सबसे महत्वपूर्ण स्टाम्पपेपर का शुल्क जमा करना है। इसके लिए आप नेट बैंकिंग कामा यूपीआई ( Google pey, phone pe, paytam आदि UPI APP) एवं क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड द्वारा भी ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं। अगर आपके पास यह सारे विकल्प ना तो आप स्टांप विक्रेता की सहायता से भी पेमेंट कर सकते हैं।

स्टाम्प पेपर खरीदते समय किन-किन दस्तावेज एवं जानकारी की आवश्यकता होती है

स्टाम्प पेपर एवं ई-स्टाम्प पेपर खरीदते वक्त निम्नलिखित जानकारियां ज्ञात होनी चाहिए-

  • प्रथम पक्ष के नाम की जानकारी
  • द्वितीय पक्ष के नाम की जानकारी
  • दोनों पक्षों का adress
  • Document name
  • Stamp paper के मूल्य की जानकारी
  • Online stamp payment
  • Certificate number
  • Certificate issue date

अब आपको फ्रैंकिंग क्या है, यह समझाते हैं।

फ्रैंकिंग एक प्रकार का दस्तावेज है। जो जाहिर करता है की स्टांप शुल्क का भुगतान पहले कर दिया है। फ्रैंकिंग भुगतान कई रजिस्ट्रार कार्यालय में उपलब्ध है। इसका मुख्य का उपयोग बैंकों द्वारा लोन देने में किया जाता है। फ्रैंकिंग का उपयोग भारत के गुजरात राज्य में बहुत ज्यादा होने लगा है। एक तरीके का चिपकाने वाला स्टांप भी कह सकते हैं। जिसकी पेमेंट पहले हो चुकी है।

Stamp paper ki validity

स्टाम्प पेपर की वैलिडिटी को भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 54 में दर्शाया गया है। यदि हम कोई स्टांप पेपर खरीदते हैं। और अगले 6 महीने तक उसका उपयोग नहीं करते है। तो उत्तम पेपर को कलेक्टर ऑफिस में रिटर्न कर सकते हैं। आपका स्टांप शुल्क का पैसा कुछ कटौती के साथ आपको रिफंड हो जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा कहा गया था। कि कोई भी स्टांप पेपर 6 महीने से अधिक समय लिया हो गया हो। तो वह अवैध नहीं हो सकता। भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 54 स्टांप के योजना होने पर छह महीने में वापसी की बात करते हैं। लेकिन किसी भी समझौते या डॉक्यूमेंट के लिए स्टांप पेपर को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता। इसलिए स्टांप पेपर खरीदने की दिनांक के 6 माह के बाद भी स्टांप पेपर वेद रहते हैं। और लोग इनका उपयोग भी करते हैं।

भारत के दो राज्य महाराष्ट्र एवं गुजरात जिन्होंने अपने स्टांप अधिनियम के कानूनों में संशोधन किया है। वहां पर एक विशिष्ट कानून का प्रावधान किया गया है। यदि स्टांप खरीदने के 6 माह के के अंतर्गत इस टाइम का उपयोग नहीं किया जाता। जय स्टांप को रिटर्न नहीं किया जाता है, तो इस स्टाम्प निरस्त माना जाता है।

स्टाम्प को लेकर भावी योजनाएं-

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा भविष्य में भारतीय स्टांप अधिनियम में संशोधन करने की स्थिति है। वित्त मंत्रालय का सोचना है कि स्टांप पेपर 1 वर्ष की वैधता के साथ आएं। इससे भविष्य में होने वाले इस काम के दुरुपयोग पर रोक लगेगी। और किसी भी समझौते इस समय सीमा भी तय हो जाएगी। और लोग ही E-Stamp की खपत भी ज्यादा होगी। स्टांप पेपर का उपयोग किसी भी समझौते के लिए अति आवश्यक है।

ऊपर दिए गए आर्टिकल में हमने आपको stamp paper की सभी जानकारी देने की कोशिश की है। फिर भी आपके मन में स्टांप पेपर या स्टांप शुल्क के संबंधित कोई भी प्रश्न हो, तो आप हमें कमेंट के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। आपकी पूरी सहायता की जाएगी।

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